जयेष्ठ मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को योगिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। ये एकादशी व्यक्ति के सभी पापों को समाप्त करती हे। इस एकादशी का विधिवत व्रत रखने से व्यक्ति पृथ्वीलोक में सारे सुख भोगता है और मृत्यु के बाद परलोक में भी मुक्ति को प्राप्त करता है। इस एकादशी की व्रत कथा पढ़ने या सुनने से ८८ हजार ब्राह्मणों को भोज कराने का पुण्य प्राप्त होता है।
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योगिनी एकादशी से समस्त पाप दूर हो जाते हैं और व्यक्ति पारिवारिक सुख पाता है। यह व्रत सभी उपद्रवों को शांत कर सुखी बनाता है। योगिनी एकादशी का व्रत करने से समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह व्रत तीनों लोकों में प्रसिद्ध है।
इस व्रत को विधित रखने से सिद्धि और सफलता मिलती है। कहते हैं कि इस व्रत के प्रभाव से किसी के दिए हुए श्राप का निवारण हो जाता है। यह एकादशी समस्त आधि-व्याधियों को नष्ट कर सुंदर रुप, गुण और यश देने वाली कही गई है। वर्तमान समय में यह व्रत कल्पतरू के समान है तथा इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य के सभी कष्टों दूर होते हैं तथा हर तरह के श्राप तथा समस्त पापों से मुक्ति दिलाकर यह व्रत पुण्यफल प्रदान करता है।
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